कलयुग की घोर अंधेरी रात के बाद सतयुग की भोर होगी – पूनम बहन
आध्यात्म खोलेगा सतयुग के द्वार – पूनम बहन
उदयपुर 18 मई। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के अंतर्गत नौ दिवसीय “अलविदा तनाव हैप्पीनेस प्रोग्राम” में आठवें दिन आज ब्रह्माकुमारी पूनम बहन ने समय की पहचान करते हुए कहा कि “बाबा अपने कमाल कर दिया हम तो अंधेरे में थे आपने प्रकाश कर दिया” । हैप्पीनेस प्रोग्राम के मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने के अनुसार पूनम बहन ने बताया कि कालचक्र में चार युगों मे विभक्त रहता है। कालचक्र का पहिया आदिकाल से क्रमवार इनसे गुजरा रहा है।
प्रथम युग सतयुग होकर चक्र की सुबह को दर्शाता है । इसे स्वर्णिम युग भी कहा जाता है क्योंकि इस समय पृथ्वी पर अनुमानित 9 लाख आत्माएं शत प्रतिशत शुद्ध देवी देवताओं के श्रेणी में होकर तन मन धन वैभव प्रकृति से सुख संपन्न रही। उस समय आदि-सनातन धर्म ही प्रचलित था । इस 1250 वर्षों में मनुष्य की औसत आयु 150 वर्ष की होकर 8 जन्म ( सीढ़ी ) उतरने पर त्रेता युग (दोपहर – रजत ) प्रारंभ हुआ । त्रेता में आत्मा में दो प्रतिशत की विशुद्धि आ गई। इसे रजत काल भी कहा जाता है जो भी आदि- सनातन धर्म निहित होकर 1250 वर्ष में 12 जन्मों (सीढ़ी) नीचे उतरता है । त्रेता युग के समाप्त होते होते पृथ्वी पर 33 करोड़ मनुष्य आत्माओं का निवास होने लगा । अगला 1250 वर्ष द्वापर युग कहलाता है जिस दौरान आत्मा में काम, क्रोध, मध, मोह, लोभ आदि विकारों की शुरुआत होने से आत्मा की ऊर्जा (शुद्धता) 35 से 40% घटकर 60 -65% ही शेष रही। आत्मशुद्धि पतन से मनुष्य जीवन में नाना प्रकार के कष्टों की अनुभूति होने लगी व मनुष्य भक्ति मार्ग पर अग्रसर होने लगा। इसी युग मे यहूदी, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, सिख आदि धर्म का उद्गम मनुष्य जीवन में उनके कष्टों से राहत दिलाने हेतु प्रचलित होने लगे। द्वापर के 1250 वर्ष में 21 जन्मों की सीढ़ी उतरकर चौथा युग (काली अंधेरी रात) लोह वर्ण कलयुग में आत्मा की शुद्धि नगण्य सी रह गई व मनुष्य नाना प्रकार की विभीषिकाओं मे जकड़ने लगा मसलन तन से सुखी नहीं रहना, मन अशांत/बैचेन रहना, धन का अनर्गल/ विनाशकारी व्यय होना, संबंधों में दरार व स्वार्थ आ जाना आदि। कलियुग के इन 1250 वर्षों में चरित्र पतन सर्वाधिक हुआ विशेषत: पिछले 40 – 50 वर्षों । कलियुग मे अनुमानित 42 जन्मों (सीढ़ी ) के पश्चात पुन: सतयुग के आगमन का शुभागमन अवश्य होगा किन्तु महा विनाश के बाद ही । क्योकि इस कालचक्र को समझा जाए तो वर्तमान के 800 करोड़ से अधिक मनुष्य आत्माओं मे से आने वाले सतयुग मे मात्र कुछ लाख की रह जाएगी वो भी जो शुद्ध आत्माएँ होगी । अत: आज के समय कि यही मांग है कि हम प्रत्येक जो प्रोग्राम मे लाभार्थी है आध्यात्म का मार्ग चुन अपनी आत्मा की पवित्रता मे लग जाये । शिविर के समाप्त होने के बाद भी 15 दिन तक रोज प्रातः व सांय 7 से 8 बजे मोती मंगरी केन्द्र पर मुरली व मेडिटेशन मे आकर आप लाभांवित होते रहे।
“महाविजय उत्सव” में स्वर्णिम युग की परिकल्पना करते हुए ” यहां डाल डाल पर सोने की चिडिया करती हो बसेरा वो भारत देश है मेरा” पर सभी बहनों ने फ्लेग लहराये । एक बड़ी यज्ञ वेदी जला कर आज के सभी विकारों ( तनाव, चिंता, बिमारी, लालच, क्रोध , राग , द्वेश आदि) को जला कर स्वाहा किया गया ।
वरिष्ठ नागरिक मोति मंगरी स्कीम द्वारा पूनम बहन रीटा बहन , प्रो विमल शर्मा सहित सभी ब्रह्माकुमारी बहनो का सम्मान ।
वरिष्ठ नागरिक मोति मंगरी स्कीम द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह का संचालन शिव रतन तिवारी ने किया । उन्होंने सी ऐस ब्र कु पूनम बहन का जीवन परिचय देते हुए बताया उनके उद्बोधन को सुनकर लोगों के जीवन मे आशातीत सुखद बदलाव आये है । ब्र.कु.रीटा बहन ने इस विशाल आयोजन का बहुत कुशलतापूर्वक संचालन किया है व प्रोफेसर विमल शर्मा ने सेवा भाव से मीडिया प्रभारी का दायित्व संभालते हुए आमजन तक यह अप्रतीम संदेश पहुचाया है । आप तीनों को हम वरिष्ठ जन मोती मंगरी स्कीम सम्मानित कर गौरवान्वित महसूस कर रहे है । साथ ही उदयपुर केन्द्र की सभी ब्रह्मकुमारी बहनों का इस आयोजन को सफल बनाने के लिये किये गये सराहनीय योगदान पर मंत्रोचार से उपरणा व पाग पहना कर बहुमान करते है। सम्मान करने वालों मे शिव रतन तिवारी, बीपी छापरवाल, सी एम कच्छावा, सीता शर्मा, कुमुद पोरवाल, आशा हरकावत, दया दवे, फातिमा आर्वी प्रमुख थे।
कल प्रोग्राम के अंतिम दिन “गुड बाय टैंशन” उत्सव मना विदाई
ली जायेगी।