उदयपुर 6 अक्टूबर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग, इन्टेक उदयपुर चेप्टर व भूविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय भूविविधता दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आमंत्रित वक्ता भूविज्ञान के पूर्व आचार्य प्रो. एन.के.चौहान ने बताया कि मेवाड क्षेत्र भूविविधता एवं भूविरासतों से परिपूर्ण है। यहां की विभिन्न भू-आकृतियां एवं भूविज्ञान विशिष्टता लिए हुए है एवं पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखती है। इसी कारण प्रत्येक वर्ष देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैंकड़ों विद्यार्थी एवं शोधार्थी अध्ययन हेतु आते हैं। उन्होंने बताया कि मेवाड़ क्षेत्र का अधिकांश भाग पहाडी क्षेत्र है जो कि अरावली पर्वत श्रृंखला के रूप में जाना जाता है। अरावली पर्वत विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। डॉ.पी.एस.राणावत ने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र में अनेक ऐसे भूवैज्ञानिक महत्व के स्थल है जो अल्पज्ञात है तथा सामान्य जन को इन प्रकृति प्रदत्त विरासतों के बारे में जानकारी नहीं है। इन्टेक उदयपुर चेप्टर के संयोजक डॉ. ललित पाण्डे ने कहा कि भूविरासत स्थल शिक्षा, शोध एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ विनोद अग्रवाल ने बताया कि यूनेस्को की नवंबर 2021 को 41वें आम सम्भेलन में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि हर वर्ष 6 अक्टूबर का दिन अन्तर्राष्ट्रीय भूविविधता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इस विश्वव्यापी वार्षिक उत्सव को मनाने का मूल उद्देश्य जनसाधारण में धरती पर मौजूद प्राकृतिक भू-विरासतों एवं भूविविधताओं के बारे में जागरूकता पैदा करना एवं उनके संरक्षण में जनभागीदारी हेतु प्रेरित करना है। कार्यक्रम का संचालन डॉ हरीष कपास्या ने किया।
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय भूविविधता दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन
