– उत्तम आर्जव धर्म मनाया
उदयपुर, 2 सितम्बर। पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में देवश्रमण आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज, मुनि अजयदेव व भट्टारक देवेंद्र विजय, ब्रम्हचारिणी आराधना दीदी व अमृता दीदी संघ के सानिध्य में सकल दिगम्बर जैन समाज पायड़ा में दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन पद्मप्रभु भगवान की प्रतिमा पर जलाभिषेक के साथ महाशांति धारा की गई। प्रचार संयोजक संजय गुडलिया, दीपक चिबोडिया ने बताया कि उत्तम मर्दव धर्म के अवसर पर प्रभु का अभिषेक प्रात: सवा सात बजे प्रारम्भ हुआ। सभी क्रिया के बाद जल, दूध इक्षु रस, नारियल, रस, दही, सर्व ओशोधी चंदन, पुष्पवर्षा, पूर्ण कलश एवम दूध से की गई । प्रवक्ता प्रवीण सकरावत ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान रमेशचन्द्र चिबोडिय़ा व सुशीला देवी चिबोडिय़ा के 32 उपवास, ब्रम्हचारिणी आराधना दीदी के 16 उपवास इसके अलावा 10 उपवास, 5 उपवास भी श्रावक-श्राविकाओं द्वारा किए जा रहे है।
इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहा कि ढ़ोग का जीवन नहीं ढग़ का जीवन जीओ, सत्य शांत होता है, असत्य शोर मचाता है, अंत करण भगवान की बनायी अदालत है। दान छपाकर नहीं, दान छुपा कर दो “बातो के बादशाह नहीं, आचरणों के आचार्य बनो। सबसे बड़ा बादशाह कोन, दुनियां में सबसे बड़ा बादशाह है वक्त, वक्त का कहना है कि मै कल फिर नहीं आऊगा, मुझे खुद नहीं पता कि कल तुझे हंसाऊगा, या रुलाऊंगा, जीना है तो बस इस पल को जी ले, क्योंकि मैं किसी भी हाल में इस पल को अगले पल तक रोक नहीं पाऊगा। डाली पर बैठे परिंदे को मालुम है कि डाली कमजोर है, फिर भी वो उस डाली पर बैठता है, क्योंकि उसको डाली से ज्यादा अपने पंख पर भरोसा है। घर परिवार को मालिक नहीं, माली बनकर संभालिए जो खयाल तो सबका रखता है, पर अधिकार किसी पर नहीं जताता।