डूंगरपुर में मिला विस्फोटक धौलपुर की फैक्ट्री से अजमेर डिपो से पहुंचा आसपुर

-सुभाष शर्मा 

आसपुर के समीप गोल गांव में विस्फोटक विक्रेता का गोदाम, मालिक को पुलिस ने किया गिरफ्तार
उदयपुरः राजस्थान में डूंगरपुर स्थित सोम नदी के बड़लिया पुल के नीचे व समीप मिला विस्फोटक धौलपुर की एक फैक्ट्री से निकला था। आठ महीने पहले उसे अजमेर के लिए भेजा गया था। जहां नसीराबाद स्थित विस्फोटक डिपो से यह आसपुर—डूंगरपुर के माहेश्वरी इंटरनेप्राइजेज को भेजा गया और उसके गोल गांव स्थित गोदाम से निकाला गया। पुलिस ने देर शाम उसके मालिक राजेन्द्र प्रसाद झंवर कोे गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है।
गौरतलब है कि उदयपुर में रेल लाइन पर विस्फोट के मामले की जांच में जुटी पुलिस को पिछले दिनों डूंगरपुर जिले में आसपुर थाना क्षेत्र में सोम नदी पर बने बड़लिया पुल के नीचे और समीप पांच टन से अधिक विस्फोटक मिला था, जो जिलेटिन राड के रूप में था। यह विस्फोटक कितना नुकसान पहुंचा सकता था, इसका अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे करीब एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तबाही मचाई जा सकती थी।
इस बीच पुलिस की जांच में पता कि जो जिलेटिन की राड बड़लिया पुल के नीचे तथा पास से बरामद की गईं, वह करीब आठ महीने पहले धौलपुर की राजस्थान एक्सप्लोसिव एंड केमिकल लिमिटेड फैक्ट्री में बना था। यहां से 23 मार्च, 22 को अजमेर की कृष्णा सेल्स निजामपुरा—नसीराबाद मैगजीन को ट्रक से 15 टन विस्फोटक भेजा गया था, जिसमें डूंगरपुर में बरामद जिलेटिन की छड़ भी शामिल थीं। अजमेर पुलिस कृष्णा सेल्स के गोदाम पर पहुंची तथा उसके मालिक भीलवाड़ा के गुलाबपुरा निवासी राजेंद्र कुमार बाहेती से एक्सप्लोसिव का रिकार्ड मांगा। जिसकी जांच में पता चला है कि 20 अप्रेल को कृष्णा सेल्स से दो हजार किलो एक्सप्लोसिव डूंगरपुर जिले के एक्सप्लोसिव विक्रेता राजेन्द्र प्रसाद झंवर को बेचा था। सूचना मिलते ही डूंगरपुर पुलिस झंवर के गोल स्थित एक्सप्लोसिव गोदाम पर पहुंची तथा वहां विस्फोटक साम्रगी के रिकार्ड में भारी गड़बड़ी पाए जाने पर गोदाम मालिक को गिरफ्तार कर लिया। जो विस्फोटक सोम नदी के पुल के नीचे मिला, वह इसी गोदाम का था।
इधर, धौलपुर स्थित फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से राकेश शर्मा का कहना है कि यहां निर्मित हर जिलेटिन की छड़ या अन्य विस्फोटक, सभी पर अब बार कोड होता है। उससे यह पता लगाया जा सकता है कि वह विस्फोटक फैक्ट्री से कब निकला और कहां भेजा गया। फैक्ट्री अपने ही वाहनों से विस्फोटक सप्लाई करती है और लाइसेंसधारी के गोदाम तक पहुंचाती है। यह निजी क्षेत्र की कंपनी है और विशेष रूप से कोल माइनिंग तथा अन्य खनन उपयोग के लिए विस्फोटक तैयार करती है।
2009 में गायब हो गए थे विस्फोटक भरे 164 ट्रक
पता चला है कि साल 2009 में धौलपुर की उक्त फैक्ट्री से विस्फोटक से भरे 164 ट्रक गायब हो गए थे। दरअसल, भीलवाड़ा के अन्य व्यापारियों ने सागर (मध्य प्रदेश) में मैगजीन (लाइसेंस लेकर विस्फोटक सामग्री का गोदाम) खोली थी। मध्य प्रदेश में टैक्स कम होने की वजह से वे धौलपुर से विस्फोटक सागर के लिए मंगाते थे, लेकिन यह विस्फोटक वहां के बजाय भीलवाड़ा ले जाते थे। तब सागर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने पुलिस रिकार्ड में भारी मात्रा में विस्फोटक आने की जांच की तो सागर की मैगजीन से पता चला कि वहां विस्फोटक पहुंचा ही नहीं। मामला अदालत में पहुंचा और सागर की जिला कोर्ट ने भीलवाड़ा के व्यवसायी शिवचरण हेड़ा, दीपा हेड़ा के साथ देवेंद्र ठाकुर और जय किशन आसवानी को विस्फोटक गायब करने का दोषी मानते हुए आठ-आठ साल के कारावास की सजा के साथ इन पर एक लाख तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

By Udaipurviews

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