गूंजे सावन गीत, नृत्य-नाटक ने प्रकृति को निहारा

विद्याभवन ने मनायी 91वीं वर्षगांठ 

उदयपुर। शिक्षा एवं अनुसंधान में अग्रणि उदयपुर के विद्याभवन संस्थान ने मंगलवार को विद्यालय के मुक्ताकाशी रंगमंच व प्रकृति की गोद में अपनी91वीं वर्षगांठ समारोहपूर्वक मनाई। इस अवसर पर बालकों ने गीत, नृत्य, नाटक एवं अन्य आकर्षक व रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।

प्रारम्भ में विद्यालय के प्राचार्य पुष्पराज राणावत ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि डॉ. मोहनसिंह मेहता द्वारा 21 जुलाई, 1931 को विद्याभवन स्कूल की स्थापना की। तब से आज तक यह संस्थान मजबूती के साथ खड़ी होकर निरन्तर प्रगति कर रही है। आज के इस अवसर पर 1975 बैच के विद्यार्थियों का आना विद्याभवन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता व महत्व को दर्शाता है। 

विद्याभवन की सभी संस्थाओं ने मिलकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। जिसमे मुख्य रूप से – वर्षा ऋतु से सम्बन्धित गीत, कविता,  शास्त्रीय नृत्य तथा प्रकृति पर आधारित सावन गीत, नृत्य व नाटक की प्रस्तुतियां दी गई।इस मौके पर मुख्य अतिथि विनोद सामरा ने कहा कि शिक्षा सबसे बड़ी पॅूजी है। जिसके द्वारा विद्यार्थी जीवन में सफलता को अर्जित कर धन व सम्मान को प्राप्त किया जा सकता है। जीवन में परोपकारी बनें, बड़ा सोचें, जल्दी सोचें और आगे सोचे क्योंकि विचारों पर किसी की पाबन्द नहीं होती है । अतः हमें सपने देखने चाहिए और उन्हें प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

विशिष्ठ अतिथि विद्याभवन की पूर्व छात्र कोमल कोठारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के बालक कल की युवा पीढ़ी हैं। उनके पास अपार ऊर्जा है। अतः वे अपनी क्षमताओं को आभास कर आंतरिक विश्लेषण करें और जीवन में आगे बढ़ते रहें। इस अवसर पर विद्याभवन सोसायटी के मुख्य संचालक अनुराग प्रियदर्शी, सोसायटी अध्यक्ष अजय एस.मेहता, कार्यकारिणी, विद्याबंधु संघ सदस्य, विद्याभवन की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता, संकाय सदस्य व विद्यार्थी उपस्थित थे । 

कार्यक्रम का संचालन अध्यापक नारायणलाल आमेटा तथा अध्यापिका ललिता चेलावत ने  किया। कार्यक्रम का समापन विद्याबंधु संघ द्वारा ’’विद्याबंधु’’ गीत से हुआ। अंत में धन्यवाद रस्म रेजीना फ्रांसीस ने अदा की।

By Udaipurviews

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