कार्य के निर्विघ्न समाप्ति के लिए मंगलाचरण किया जाता है : मुनि पवित्रानंद

रत्नकरण श्रावकचार की कक्षाएं प्रारंभ- प्रतिदिन स्वाध्याय दिन में 3 से 4 एवं शंका समाधान शाम 6 से 7 होंगे 

उदयपुर 19 जूलाई ।  केशवनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य वसुनंदी महाराज के शिष्य श्रद्धानंद महाराज एवं पवित्रा नंद महाराज संघ के सानिध्य में प्रात: 7 बजे मूलनायक आदिनाथ भगवान पर रजत कलश से शांतिधारा की गई। श्रावक-श्राविकाओं द्वारा नित्य नियम पूजन, अभिषेक के साथ शांतिधारा की गई। 

      चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार प्रसार मंत्री शांति कुमार कासलीवाल ने बताया कि   आदिनाथ भगवान का चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन एवं मुनिश्री का पाद प्रक्षालन  कैलाश पटवारी, महावीर लिखमावत, अशोक भोपावट द्वारा किया गया। शास्त्र भेंट रेणु अजमेरा प्रतिभा शाह द्वारा एवं मंगलाचरण सीमा जैन द्वारा किया गया।

      संत सुधा सागर संयम भवन में प्रवचन सभागार में मुनि पवित्रानंद महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि जो पापों को गला है उसे मंगल कहते हैं मंगलाचरण नास्तिकता के परिहार के लिए ,ग्रंथ के निर्विघ्न समाप्ति के लिए,  पुण्य की प्राप्ति के लिए, किसी कार्य के निर्विघ्न समाप्त होने के लिए एवं शिष्टाचार के पालन के लिए मंगलाचरण किया जाता है। 

By Udaipurviews

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