कानूनों को सही मायने में लागू करने के लिए नागरिकों का चरित्र निर्माण जरूरी 

विधिक सेवा दिवस- मुख्य न्यायाधीश , राजस्थान उच्च न्यायालय
– राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वंचित वर्गों और पॉक्सो एक्ट के तहत कानूनी सहायता के लिए जागरूकता अभियानों का शुभारंभ
जयपुर, 9 नवंबर। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक श्री पंकज मित्थल ने कहा कि सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए हर नागरिक का चरित्र निर्माण जरूरी है, तभी पॉक्सो एक्ट सही मायने में लागू किया जा सकेगा। न्यायाधिपति श्री पंकज मित्थल बुधवार को राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ( रालसा) की ओर से विधिक सेवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलकर ही हम समाज को सुधार की ओर ले जा सकते हैं। इसके साथ बच्चों की शिक्षा अच्छी होना जरूरी है। हमें बच्चों के संस्कारों को तराशना है। साथ ही कर्तव्य और अधिकार पर समान रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
कार्यक्रम में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए छुआछूत से मुक्ति और अत्याचारों की रोकथाम  और अपराध के शिकार बच्चों को  पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत विधिक सहायता (Freedom from Untouchability & Prevention of Atrocities of SC/ST Community & Legal Assistance to Child Victims of Offences under the POCSO ACT – 2012) अभियानों का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से गरीब एवं असहाय लोगों को आसान और सुलभ न्याय मिले विषय पर पोस्टर और बैनर का विमोचन और एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजस्थान उच्च न्यायालय  के न्यायाधिपति प्रकाश गुप्ता और न्यायाधिपति पंकज भंडारी रहे।
इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति (आरएचसीएलएससी) के अध्यक्ष न्यायाधिपति प्रकाश गुप्ता ने रालसा की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रालसा का मकसद निर्धन और असहाय बंदियों खासतौर पर महिलाओं को विधिक सहायता उपलब्ध कराना और संभव होने पर कानूनन रिहाई करवाना है। उन्होंने बताया कि विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा इस उदेदश्य की पूर्ति के लिए विशेष जागरूकता शिविर, नुक्कड़ नाटक आदि का आयोजन भी किया जा रहा है।
कार्यक्रम में आरएचसीएलएससी के मध्यस्थता प्रभारी न्यायाधीश पंकज भंडारी ने कहा कि वैकल्पिक न्याय व्यवस्था के तौर पर मध्यस्थता एक महत्वपूर्ण विकल्प है। इस विकल्प का उपयोग कर आमजन के बीच विवाद आपसी सहमति और आसान तरीके से निस्तारित होते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल में अब तक कुल 398 मामलों का मध्यस्थता के जरिये सफल निस्तारण हुआ है।
कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति, रालसा के विशिष्ट सचिव पुरुषोत्तम लाल सैनी, सदस्य सचिव दिनेश गुप्ता व पदाधिकारीगण, अधिवक्ता और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि  विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के शुरू होने के उपलक्ष्य में सभी नागरिकों के लिये उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 9 नवंबर को  राष्ट्रीय   विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित किए जाते हैं और महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और वंचित तबके के लोगों को कानूनी सेवाओं की मुफ्त उपलब्धता के बारे में बताया जाता है।
By Udaipurviews

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