बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न
उदयपुर, 11 जून। पुलिस तथा यूनिसेफ के सहयोग से संचालित ‘कम्युनिटी पुलिसिंग टू बिल्ड अवेयरनेस एण्ड ट्रस्ट कार्यक्रम’ अंतर्गत रिजर्व पुलिस लाईन स्थित सभागार में जिले के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों का किशोर न्याय अधिनियम-2015 तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्डया एवं अतिरिक्त जिला कलक्टर उदयपुर (शहर) प्रभा गौतम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अभय कमाण्ड के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोशन पटेल भी उपस्थित रहे।
कार्यशाला के आरंभ में डॉ शैलेन्द्र पण्ड्या ने उपस्थित विभाग के अधिकारियों तथा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कार्यशाला में बताई जाने वाली जानकारी का उपयोग क्षेत्र में करने के निर्देश दिए तथा बाल श्रम उन्मूलन सप्ताह में सभी विभागों के सहयोग हेतु आवश्यक निर्देश दिए। एडीएम गौतम ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जिले में बाल संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागों के समन्वय से कार्यवाही करने तथा पुनर्वास के लिए बेहतर कार्ययोजना के साथ करने के निर्देश दिए।
रेस्क्यू किए गए बालकों के पुनर्वास जरूरी
कार्यशाला में यूनिसेफ की बाल संरक्षण सलाहकार सिन्धु बिनुजीत ने प्रतिभागियों को पुलिस विभाग एवं यूनिसेफ के सहयोग से संचालित बाल संरक्षण संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी उपलब्ध कराते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होने रेस्क्यु किए गए बालकों के पुनर्वास में सभी विभागों के सहयोग हेतु कार्ययोजना विकसित करने तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग के सुझाव दिए। कार्यशाला में विशिष्ट न्यायालय पोक्सो कोर्ट उदयपुर के विशिष्ट लोक अभियोजक कुलदीप परिहार द्वारा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 अंतर्गत दर्ज होने वाले प्रकरणों में पुलिस अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई।
न्यायाधीश महेंद्र कुमार दवे ने जिज्ञासाओं का किया समाधान
कार्यशाला में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश भीलवाडा महेन्द्र कुमार दवे द्वारा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 अंतर्गत हितधारकों की भूमिका पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराया। उन्होंने बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों से संबंधित अनुसंधान प्रक्रियाओं , रिपोर्टिंग तथा विशेष विधिक परिस्थितियों पर प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला के दौरान बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों ने बालकों से संबंधित मामलों में आने वाली समस्याओं पर प्रश्न पूछे जिनके उत्तर न्यायाधीश द्वारा दिए गए।
कार्यशाला में स्वयंसेवी संस्था आसरा विकास संस्था के प्रतिनिधि भोजराज सिंह, विकल्प संस्थान शमीना बानो, मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ प्रभारी जीवत राम, पुलिस निरीक्षक रिजर्व पुलिस लाईन सुमेर सिंह आदि ने बच्चों से संबंधित अपराधों व प्रक्रियाओं के संदर्भ में प्रश्न पूछे। कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीश ने अधिनियमों पर कहानियों तथा घटनाओं के माध्यम से विभिन्न धाराओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। युनिसेफ सलाहकार सिन्धु बिनजीत ने पुलिस थानों पर बाल हेल्प डेस्क के संचालन, गुमशुदा बालकों का विवरण पोर्टल पर अपलोड करने तथा प्रशिक्षण के अनुसार दिए गए निर्देशों की थाना स्तर पर अनुपालना के सुझाव दिए।
एडिशनल एसपी ने थाना स्तर पर बाल मैत्री प्रक्रियाओं की दी जानकारी
कार्यशाला के अन्त में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पटेल द्वारा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को थाना स्तर पर बाल मैत्री प्रक्रियाओं के संचालन के बारे में दिशा-निर्देश देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में जिले के पुलिस थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों सहित मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ के गोविन्द सिंह, गायत्री सेवा संस्थान के नितिन पालीवाल व टीम, स्वतंत्रता सेनानी वी पी सिंह संस्था की नीलिमा बारणा, मनु सेवा संस्थान आदि के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यशाला आयोजन में कार्यक्रम के आकाश उपाध्याय, भरत खोखर तथा सपना राठौड आदि ने सहयोग उपलब्ध कराया।