-कंपोजिट लाइसेंस से खोज व खनन कार्य को मिलेगी गति, राज्य सरकार को मिलेगा राजस्व
जयपुर, 26 मई। राज्य में प्रधान खनिज के 10 ब्लॉकों की कंपोजिट लाइसेंस के तहत ई-नीलामी की जाएगी। माइंस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इन दस ब्लॉकों में छह बेस मेटल, दो टंगस्टन, एक पोटाश, एक निक्कल के ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं।
डॉ. अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कंपोजिट लाइसेंस से लाइसेंस धारक प्रोस्पेक्टिव (खोज) एवं खनन दोनों कार्य कर सकेगा। पहले विभाग द्वारा प्रोस्पेक्टिव लाइसेंस जारी किए जाते रहे हैं और उसकी रिपोर्ट के आधार पर मिनरल की उपलब्धता को देखते हुए प्लॉट तैयार कर नीलाम किए जाते थे जिसमें लंबा समय लगता था। अब मिनरल संभावित क्षेत्र में खोज व खनन का ई नीलामी के माध्यम से संयुक्त लाइसेंस जारी होने से खनन कार्य भी समय पर आरंभ हो सकेगा और राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होने लगेगी।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर यह प्लाट्स कंपोजिट लाइसेेस के लिए तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रमुख रुप से लेड-जिंक, सिल्वर, वोलेस्टोनाईट, रॉक फास्फेट, कॉपर, लाईमस्टोन, आयारन ऑर, पोटाश और टंगस्टन मेजर मिनरल है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में राज्य में लाईमस्टोन के दस ब्लाकों की सफल नीलामी की गई है वहीं दो ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया जारी है।
एसीएस ने बताया कि मेजर मिनरल्स के साथ ही अप्रधान खनिजों की नीलामी में भी तेजी लाई गई है और इसी का परिणाम है कि हाल ही समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 6391 करोड़ 23 लाख का रेकार्ड राजस्व अर्जित किया गया है।
निदेशक माइंस श्री कुंज बिहारी पण्ड्या ने बताया कि राज्य में खोज और खनन कार्य को योजनावद्ध तरीके से प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे प्रदेश का आर्थिक विकास, औद्योगिक विकास, रोजगार के नए अवसरो के साथ ही राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी हो रही है।
बैठक में उप सचिव नीतू बारुपाल, एसजी श्री सुनील कुमार वर्मा व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।