आज ‘राष्ट्रयोग’ को प्रखर बनाने का समय – उत्तम स्वामी

उदयपुर, 21 जून। मानवता के लिए योग’ के साथ आज ‘राष्ट्रयोग’ को प्रखर बनाने का समय है। देश के युवा योग के माध्यम से स्वयं के आंतरिक व बाह्य रूप को सशक्त करने के साथ राष्ट्र को भी हर दिशा में शक्ति सम्पन्न बनाने की दिशा में अपनी भूमिका का निर्वहन करें।
यह आह्वान बांसवाड़ा के ईश्वरानंद ब्रह्मचारी उपाख्य उत्तम स्वामी महाराज ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास, आरोग्य भारती व एनएमओ की ओर ये चल रहे योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के समापन समारोह में उपस्थित युवाशक्ति से किया। नगर निगम प्रांगण स्थित सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि आज धर्म को सही रूप में अंगीकार करने की आवश्यकता है। जिस भी सम्प्रदाय से हम आते हैं, उसके धर्म पालन उस सम्प्रदाय के व्यक्ति का कर्तव्य है किन्तु वह चौराहों पर प्रदर्शित करने की वस्तु नहीं है। सार्वजनिक रूप से यदि प्रदर्शित करना ही है तो वह हमारा राष्ट्र धर्म होना चाहिए, समस्त भारतवासियों को एकात्म भाव से सम्पूर्ण देश और समस्त समाज के कल्याण का संकल्प प्रदर्शित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन शास्त्रों में यम, नियम, संयम, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, उपासना, समाधि आदि का गूढ़ वर्णन अंकित है। शरीर मुद्रा, शब्द मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, अर्थ मुद्रा भी बताई गई हैं। लेकिन, आज के समय में हम शरीर अर्थात् इस मानव जन्म के धर्म के प्रति अज्ञानी हो गए हैं, अर्थ मुद्रा सर्वोपरि हो गई है। उन्होंने कहा कि योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ नहीं बनाता, वह मन की गहराइयों को भी शुद्ध और निर्मल बनाता है और जब मनुष्य का मन निर्मल होता है, तब उसके भाव स्वतः शुद्ध हो जाते हैं और वह सात्विकता की राह पर बढ़ते हुए मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है।

समारोह के मुख्य अतिथि जर्नादन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि योग हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और संस्कृति जीवन जीने की पद्धति होती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब कई लोग मानसिक रूप से कमजोर होने लगे तब योग ने उन्हें सम्बल प्रदान किया। आज योग की इस विरासत को नई पीढ़ी तक लेजाना चुनौती है और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इस दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है।

इससे पूर्व, कार्यक्रम के आरंभ में योग शिक्षक श्रीवर्द्धन ने योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के बारे में बताया कि कोरोना काल के चलते यह शिविर दो वर्ष बाद आयोजित हो सका। इस बार इस शिविर में 15 शिक्षकों ने सहभागिता की जिससे हर प्रतिभागी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता। श्रीवर्द्धन के निर्देशन में समारोह में सभी योग शिक्षकों ने त्रिकोणासन, पार्श्वकोणासन, जठरपरिवर्तनासन, शीर्षासन, भुजंगासन, बद्धकोणासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, नौकासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन आदि का प्रत्यक्षीकरण किया। सभी योग शिक्षकों का अतिथियों द्वारा अभिनंदन भी किया गया।

कार्यक्रम के दौरान योग शिक्षक श्रीवर्द्धन द्वारा लिखित मुद्रा एवं स्वास्थ्य तथा योगः कर्मसु कौशलम् इन दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

न्यास के सचिव पंकज पालीवाल ने न्यास के सेवा कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि शीघ्र ही न्यास की ओर से घुमन्तु समुदाय के बच्चों के लिए छात्रावास भी शुरू किया जाएगा।

कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष हेमेन्द्र श्रीमाली, उद्योगपति गोविन्द अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत किया। शिविर के प्रतिभागियों में से अलका मूंदड़ा, भव्य चौबीसा, सत्यनारायण छीपा, पर्वत सिंह ने योग व मुद्रा चिकित्सा से उन्हें हुए लाभ के अनुभव सुनाए।

सात दिवसीय शिविर में शिक्षक के रूप में अपनी सहभागिता देने वाले प्रभात आमेटा, उमेश श्रीमाली, भव्या यादव, जिग्नेश शर्मा, महिमा शाकद्वीप, गौरव भट्ट, पृथा, तरुणा वैष्णव, खुशबू धाकड़ आदि का सम्मान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन नरेश यादव ने किया, सात दिवसीय आरोग्यम शिविर में प्रो. विनोद यादव, डॉ. भारत भूषण, विकास छाजेड़, रविकांत त्रिपाठी, प्रदीप चौबीसा, कपिल चित्तोड़ा आदि ने प्रबंधक के रूप में अपनी सेवाएं दी ।

By Udaipurviews

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