उदयपुर.महावीर साधना एवं स्वाध्याय समिति अम्बामाता में सिद्धीतप तपस्वियों का पारणा महोत्सव और वरघोडा निकाला गया। समिति के अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र कोठारी ने बताया की चातुर्मास प्रारम्भ होने के ठीक पश्चात् संघ में 44 दिवसीय सिद्धीतप तपस्या का प्रारम्भ हुआ था जिसमें 22 तपाराधकों ने आराधना की। आचार्य निपुणरत्न जी ने कहा कि दुनिया में छोटे से बड़ा हर एक जीव सुखी होना चाहता है, पर शाश्वत व पूर्ण सुख मात्र और मात्र सिद्धी (मोक्ष) में ही है, अगर आप ऐसे शाश्वत सुख के भोगी बनना चाहते हो तो उसका सर्वश्रेष्ठ उपाय सिद्धीतप की आराधना ही है, इसमें 44 दिनों में 36 उपवास व 8 बीयासना तप होता है। सिद्धीतप तपस्विया के वरघोड़े (जुलूस) का आयोजन अम्बामाता स्कीम में निकला। जिसमें बैंड़, ढोल, हाथी, घोड़ा, रथ, बग्गी आदि भी सम्मिलित हुए। युवाओं ने भगवान व गुरू भगवंतों के सन्मुख नृत्यभक्ति भी की।
भव्य वरघोड़ा समिति परिसर में पहुंच धर्मसभा में परिवर्तित हो गया गुरुभगवन्त के प्रवचन पश्चात सभी 8 वर्षीतप , 11 मासखमण, 22 सिधितप 15 उपवास , 9 उपवास, आठ उपवास से बड़ी तपस्चर्या के करीब 100 श्रावक-श्राविकाओं का बहुमान किया गया।
श्रावक-श्राविकाओं के लिए नवकारसी की व्यवस्था चन्द्रप्रकाश मेहता (नाईवाला) की ओर से की गई। सभी के लिए भव्य स्वामीवात्सल्य का आयोजन भी किया गया जिसके लाभार्थी सज्जन सिंह थे। सभी को अंत में आचार्य श्री ने मंगल पाठ श्रवण करवाया।