उदयपुर, 4 सितम्बर। केशवनगर स्थित नवकार भवन में आत्मोदय वर्षावास में बुधवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि व्यक्ति चार प्रकार के होते हैं-भाग्यशाली, महाभाग्यशाली, परम सौभाग्यशाली एवं दुर्भाग्यशाली। जिसके पास धन होता है वह भाग्यशाली, जिसके पास धन एवं स्वास्थ्य होता है वह महाभाग्यशाली, जिसके पास धन, स्वास्थ्य एवं धर्ममय जीवन होता है, जिनेश्वर देव का वह भक्त परम सौभाग्यशाली होता है एवं जिसके पास धन, स्वास्थ्य एवं धर्म ये तीनों ही नहीं होते वो दुर्भाग्यशाली है। भक्त को आठ बातें सिरमौर बनाती है:- भक्त के मन में भव भ्रमण का भय बना रहता है, पापों के प्रति पश्चाताप का भाव रहता है, धर्मगुरू के प्रति आस्था का भाव रखता है, सेवा व परोपकार के प्रति अहोभाव रखता है, भविष्य के प्रति आशा का भाव रखता है एवं धर्म की प्रभावना से प्रसन्न रहता है। जीवन समय से बना है। समय सार्थक होता है समझ से। समझ रखने वाला आज का नर ही कल का नारायण बनता है। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि हम सभी का लक्ष्य है कि निर्विकल्प समाधि को प्राप्त करें। इसके लिए जरूरी है कि मनुष्य दुष्कृत करने में उतावल नहीं करे और सुकृत करने में कतई प्रमाद नहीं करे। कर्म करते समय कर्तापन का अहंकार का भाव कभी न आए, यह प्रयास होना चाहिए। पापों से बचना है तो हमेशा याद रखें कि कर्म सत्ता भूल करती नहीं और भूल करने वाले को कभी माफ करती नहीं। मनचाहा होता है पुण्योदय से और अनचाहा होता है पापोदय से। श्रद्धेय श्री रत्नेश मुनि जी म.सा. एवं श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने भी धर्मसभा को अंतगढ़ सूत्र में वर्णित अनेक मोक्षगामी आत्माओं के तेजस्वी जीवन की झलक दिखाई। श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि आज महासती मयंकमणि जी म.सा. एवं पराक्रम श्री जी म सा ने श्राविकाओं के लिए पच्चीस बोल एवं अन्तगढ़ सूत्र से सम्बन्धित प्रतियोगिता करवाई. शान्त-क्रान्ति युवा संघ द्वारा बच्चों के लिए आकर्षक प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं ,वहीं ज्ञान-ध्यान, त्याग-तपस्याओं की लड़ी लगी हुई है।
समझ रखने वाला आज का नर ही कल का नारायण बनता है : आचार्य विजयराज
